कपाल कुंडला--बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

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:६: चरणों में “काय मनः प्राण आमि संदिब तोमारे। भुञ्ज आसि राजयोग दासीर आलये॥” —वीराङ्गना काव्य खेतमें बीज बो देनेसे आप ही उगता है। जब अंकुर पैदा होता है, तो न ...

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